कल रात मैंने सपना देखा,
एक कर्मठ बाबूवाला सपना देखा
सपने में फाइलों का समंदर देखा
गत्ते की नैया में कलम की पतवार लिए
मैं केवट और वो विस्तार अपार
फाइलें ही फाइलें फाइलें ही फाइलें
कहीं नोट शीट, कहीं डाक डाक
कहीं उड़ते पन्ने, कहीं गाँठ गाँठ
कहीं दिखती फाइलें कहीं गुप्त गुप्त
कहीं तीव्र फाइलें कहीं सुप्त सुप्त
कहीं बोलती फाइलें कहीं चुप्प चुप्प
कई फाइलें कर दें क्षितिज लुप्त
मैं डर गया, फेक दी कलम की पतवार
हे तारणहार तू ही कर मेरी नैया पार
मुझसे नहीं होता ये फाइलों का व्यहार
ये सी बी आई, ये सी ए जी का तकरार
कहकर मैं कुरुक्षेत्र देखे अर्जुन की तरह
बिलख बिलख टूट पड़ा
कलम मेरे हाथों से छूट पड़ा
उस समय उस फाइल सागर की गहराईयों से कहीं
क्षुब्ध सी एक छोटी फाइल निकली और कही
देखो वीर इस सागर से न डर,
तू हार गया अगर आज इधर
तो मुझे कौन सम्हालेगा
अगर यु पी एस सी पास करनेवाला
इन फाइलों से यूँ घबराएगा
तो देश का क्या हो जाएगा.
मैंने देखा उस फाइल को ध्यान से
क्षुब्ध फाइल को सहलाया प्यार से
अपनी हिम्मत जोड़ी और उठा ली कलम की पतवार
बोला हे तारणहार दे हाथ तो मैं भी हो जाऊँ आज पार
मेरी पर्सनल फाइल रो रही है,
क्षुब्ध होकर सागर में खो रही है,
चलो इसी की खोज में शुरू करता हूँ
ज़ोर ज़ोर से पतवार चलायी,
प्यारी फाइल को गुहार लगायी
वो दिखती न थी, पर हिम्मत न हारी
मैं बलिहारी, ज़ोर से चप्पू मारी
तभी पड़ा एक थप्पड़ ज़ोर से,
अर्धांगनी ने थी दे मारी
सारा दिन तो फाइल फाइल करते हो
रातों में भी सबकी नींद हराम करते हो
मैं सो गया
कहीं फाइल सागर भी लुप्त हो गया
एक कर्मठ बाबूवाला सपना देखा
सपने में फाइलों का समंदर देखा
गत्ते की नैया में कलम की पतवार लिए
मैं केवट और वो विस्तार अपार
फाइलें ही फाइलें फाइलें ही फाइलें
कहीं नोट शीट, कहीं डाक डाक
कहीं उड़ते पन्ने, कहीं गाँठ गाँठ
कहीं दिखती फाइलें कहीं गुप्त गुप्त
कहीं तीव्र फाइलें कहीं सुप्त सुप्त
कहीं बोलती फाइलें कहीं चुप्प चुप्प
कई फाइलें कर दें क्षितिज लुप्त
मैं डर गया, फेक दी कलम की पतवार
हे तारणहार तू ही कर मेरी नैया पार
मुझसे नहीं होता ये फाइलों का व्यहार
ये सी बी आई, ये सी ए जी का तकरार
कहकर मैं कुरुक्षेत्र देखे अर्जुन की तरह
बिलख बिलख टूट पड़ा
कलम मेरे हाथों से छूट पड़ा
उस समय उस फाइल सागर की गहराईयों से कहीं
क्षुब्ध सी एक छोटी फाइल निकली और कही
देखो वीर इस सागर से न डर,
तू हार गया अगर आज इधर
तो मुझे कौन सम्हालेगा
अगर यु पी एस सी पास करनेवाला
इन फाइलों से यूँ घबराएगा
तो देश का क्या हो जाएगा.
मैंने देखा उस फाइल को ध्यान से
क्षुब्ध फाइल को सहलाया प्यार से
अपनी हिम्मत जोड़ी और उठा ली कलम की पतवार
बोला हे तारणहार दे हाथ तो मैं भी हो जाऊँ आज पार
मेरी पर्सनल फाइल रो रही है,
क्षुब्ध होकर सागर में खो रही है,
चलो इसी की खोज में शुरू करता हूँ
ज़ोर ज़ोर से पतवार चलायी,
प्यारी फाइल को गुहार लगायी
वो दिखती न थी, पर हिम्मत न हारी
मैं बलिहारी, ज़ोर से चप्पू मारी
तभी पड़ा एक थप्पड़ ज़ोर से,
अर्धांगनी ने थी दे मारी
सारा दिन तो फाइल फाइल करते हो
रातों में भी सबकी नींद हराम करते हो
मैं सो गया
कहीं फाइल सागर भी लुप्त हो गया